sweetie radhika radhe-radhe

Thursday, January 6, 2011

yasumati nandan -sweetie radhika

sweetie how sweet taste in mine shriji 's sweets 


"स्वीटी" भये बड़ भाग मेरे - प्रिया लाल दरश करिके प्यारे !
प्रिया लाल को हैं चखाय रहीं - भक्तन ने परोसे भोग न्यारे !!
तबहि एक लड्डू कर लीनो - मेरे लाल प्रिया के मुख दीन्हो !!
प्रिया प्रेम मगन माखन लेके - लालन मुख पे सब मलदीन्हो !!
शोभा कूँ निरखि धनि भगत भये - प्रिया रस के समर्पण चित कीन्हो !!
"स्वीटी" प्रेम  उजागर को - "स्वीटी राधिका " कहि आनंद लीन्हो !!
पुनि टेर जो लगी राधे-राधे - वृन्दावन रस  प्रगट कीन्हो  !!
कहे "अहम् हरे " सुनो भक्त-संत - मेरो कान्ह "स्वीटी" नाम धरि लीन्हो !! 
मैं पुन्हि पूछो "स्वीटी-राधिका" कहि के -  श्रीजी के कर कैसो रस चीन्हो !!
"स्वीटी" में जान्यो-पहिचानो - मो संग न छिपाए रह पाओ !
तुम यसुमति सुत नन्द के लाला - राधिका राधे-राधे गाओ !!
मैं माने नहीं मानुंगो प्रभु - तुम हटिकाओ या वरिजाओ  !
तोहे करिके प्रचारित सब जग में - कहूँ मिलके राधे-राधे गाओ !!
"स्वीटी राधिका राधे-राधे "
"यसुमति नंदन राधे-राधे "
"श्री राधावल्लभ राधे-राधे "
"मदनमोहन जी  राधे-राधे "
"बाँके बिहारी राधे-राधे "
स्वीटी राधिका राधे-राधे




कहाँ गए वे सुहाने पंछी
कित उनकी मुष्कान रे ! 
मैं दीवाना ठगा रह गया !
काऊ न राखे मान रे !!
आकर लुटा हुआ मैं भिकारी !
सफल होगये चतुर शिकारी!
हो गयी चूक मैं चेत न पायो !
वृथा समय मैंने यूँही गंवायो !
अपने हु ह्वै गए आन रे !!
कहाँ गए वे सुहाने पंछी !
 कित उनकी मुष्कान रे !!
स्वप्न के बादल फट गए सबरे !
चली हवा जो सच्चाई ! 
दुखी वेचारे मन मेरे प्यारे !
समझे क्यों न गहराई ! 
उठ कर चलदे अमर सुधा को !
न हो जहाँ कोई तन्हाई ! 
संग रहेंगे सखा हमारे !
गोविन्द-गोपाल-कन्हाई ! ! 
कहाँ गए वे सुहाने पंछी !
 कित उनकी मुष्कान रे !!
 इसी धरा पे पाई सफलता !
लगन के सच्चे वीरों ने ! 
तजि कायरता दौड़ पड़े जो !
कर्म के मीठे गीतों ने ! 
रेख बना योजना डगर की !
तोड़ बंधन जंजीरों को !
रख विश्वास नन्द-नंदन में !
भूल जा दुःख की लकीरों को !
हानि-लाभ-जीवन अरु मृत्यु !
यश-अपयश नहीं भान रे !!
कहाँ गए वे सुहाने पंछी !
 कित उनकी मुष्कान रे !!
पार्थ-सारथी सुझा रहे तोहि !
करके गीता गान रे ! 
चिंतन श्याम में-लगन श्याम में !
प्रीत श्याम में राखि रे !!
कहाँ गए वे सुहाने पंछी !
 कित उनकी मुष्कान रे !!
मुरलीधर की रूप माधुरी !
बना ले अपनी प्यास रे !
माखन-चाखन हार के संग-संग !
मीठो-माखन चाख रे !!
कहाँ गए वे सुहाने पंछी !
 कित उनकी मुष्कान रे !!
भूल जा सबरी पीर अरु पीरा!
   राधे-राधे जाप रे !!स्वीटी राधिका राधे-राधे
harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
harerama harerama rama rama hare hare !!


if we want to keep our success in the lotus hands of lord krishna
as krishna says in shri mad bhagavad geeta
ananyansh chint yanto maa ye janah paryu pasate !
tesham nitya bhiyuktanam yog kshemam vahamyaham !!
we should chant lord krishna name regularly 
it is the best and easy way ...

»♥« राधे-राधे.»♥«
let's chant sweetest lord krishna..and 
supreme lord rama with shriji {hare}

3 comments:

  1. *गोविन्द दामोदर स्तोत्रं*

    -राधे-राधे-श्याम सुन्दर-



    करारविन्देन पदार्विन्दं, मुखार्विन्दे विनिवेशयन्तम्।
    वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥

    श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव।
    जिव्हे पिबस्वा मृतमेव देव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    विक्रेतुकामाखिल गोपकन्या, मुरारि पादार्पित चित्तवृतिः।
    दध्यादिकं मोहावशादवोचद्, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    गृहे-गृहे गोपवधू कदम्बा:, सर्वे मिलित्वा समवाप्ययोगम्।
    पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    सुखं शयाना निलये निजेऽपि, नामानि विष्णोः प्रवदन्तिमर्त्याः।
    ते निश्चितं तन्मयतमां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    जिह्‍वे दैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
    समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    सुखावसाने इदमेव सारं, दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
    देहावसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    जिह्‍वे रसज्ञे मधुरप्रिया त्वं, सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
    आवर्णये त्वं मधुराक्षराणि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    त्वामेव याचे मन देहि जिह्‍वे, समागते दण्डधरे कृतान्ते।
    वक्तव्यमेवं मधुरम सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णो।
    जिह्‍वे पिबस्वा मृतमेवदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
    *स्वीट राधिका-राधे-राधे*
    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

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  2. harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !

    harerama harerama rama rama hare hare !!



    if we want to keep our success in the lotus hands of lord krishna

    as krishna says in shri mad bhagavad geeta

    ananyansh chint yanto maa ye janah paryu pasate !

    tesham nitya bhiyuktanam yog kshemam vahamyaham !!

    we should chant lord krishna name regularly it is the best and easy way ...



    »♥« राधे-राधे.»♥«

    let's chant sweetest lord krishna..and supreme lord rama with shriji {hare}

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  3. गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस की यह

    अनुपम प्रभु भक्ति प्रदायी चौपाई -

    मोरे मन प्रभु अस विश्वासा !

    राम ते अधिक राम कर दासा !!

    .. प्रभु श्री राम जी से भी श्री राम भक्तों की महिमा अधिक सूचित कर -

    सभी आश्रितों -शरणागतों को दासानुदास भक्ति की प्रेरणा दे रही है !

    जैसे भैया शत्रुघन जी ने भरत जी का आश्रय लिया !

    रिपु सूदन पद कमल नमामि !

    सूर सुशील भरत अनुगामी !!

    जय भक्ति -भक्त -भगवंत गुरु !!

    श्री भगवान भी सुर्वाषा ऋषि को महाराज अम्बरीश प्रसंग पर "अहम् भक्त पराधीनो" कह भक्त शरण जाने

    को बोलते हैं

    इसी प्रकार श्री रामचरितमानस में लिखा है कि जो प्रभु कभी किसी के द्वारा अपना अपमान-निंदा या

    गलती होने पर भी "राखि न प्रभु हिय चुक किये की " के अनुसार क्रोधित नहीं होते वही समदर्शी

    भक्त-वत्सल दीनानाथ भक्त के प्रति अपराध किये जाने पर - अत्यंत कुपित हो नष्ट कर देते हैं !

    जो अपराध भक्त कर करइ ! राम रोष पावक सो जरइ !!

    हमारे ब्रज धाम में प्यारे कृष्ण कन्हैया की वाणी-सन्देश-प्रेम है कि -

    "मैं भक्तन को दास भगत मेरे मुकुट मणि "

    "भगत जहाँ मेरे पग धरें तहां धरूँ मैं शीश "

    आइये प्रेम से प्रेम के प्रेमी भक्तवत्सल भगवान को प्रस्तुत पंक्तियों में याद करें - अनुभव करें कि समदर्शी

    होते हुए भी भगवान कैसे भक्तदर्शी हो प्रेम में पक्षपात किया करते हैं !!!

    रामहि केवल प्रेम पियारा !!

    हरि व्यापक सर्वत्र समाना ! प्रेम तें प्रगट होहिं में जाना !!

    सबते ऊँची प्रेम सगाई !

    झूंठे फल सबरी के खाए - प्रेम विवस रघुराई !!

    सबते ऊँची प्रेम सगाई !!

    दुर्योधन कि मेवा त्यागी - पट विदुर घर खायी !!

    सबते ऊँची प्रेम सगाई !!

    प्रेम विवस अर्जुन रथ हांक्यो - भूल गए ठकुराई !!

    सबते ऊँची प्रेम सगाई !!

    ऐसी प्रीति बढ़ी वृन्दावन - गोपियाँ नाच नचाई !!

    सबते ऊँची प्रेम सगाई !!

    सुर कुर कछु लायक नाहीं - कही विधि करत बड़ाई !!

    सबते ऊँची प्रेम सगाई !!




    *जय श्रीराधे *

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